बेंगलुरु9 मिनट पहले
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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने अपने CE20 क्रायोजेनिक इंजन की ह्यूमन रेटिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। ये इंजन गगनयान मिशन का एक अहम कंपोनेंट है। ये इंजन गगनयान के LVM3 लॉन्च व्हीकल के क्रायोजेनिक स्टेज को पावर करेगा।
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट का फाइनल राउंड 13 फरवरी 2024 को पूरा हो गया है। फाइनल टेस्ट के तहत ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स के हाई ऑल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में वैक्यूम इग्निशन टेस्ट किया गया। इससे पहले 6 टेस्ट हो चुके हैं।
ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट के तहत पहले सामान्य ऑपरेटिंग कंडीशंस में लाइफ डेमोनस्ट्रेशन टेस्ट, एनड्यूरेंस टेस्ट और परफॉर्मेंस असेसमेंट किया गया। इसके बाद यही सारे टेस्ट असामान्य कंडीशंस में भी किए गए। इसके साथ ही गगन सारे ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट पूरे हो गए।
गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा।
8810 सेकंड के लिए 39 हॉट फायर टेस्ट किया गया
CE20 इंजन को ह्यूमन रेटिंग स्टैंडर्ड के मुताबिक, चार इंजन पर कुल 8810 सेकंड तक के लिए 39 हॉट फायरिंग टेस्ट किए गए। गगनयान की पहली अनमैन्ड फ्लाइट इस साल के दूसरे क्वार्टर के लिए प्रायोजित है। ये इंजन ह्यूमन रेटेड LVM3 व्हीकल की अपर स्टेज को पावर करेगा। इसकी थ्रस्ट कैपेसिटी 19 से 22 टन की है।
क्रायोजेनिक इंजन होता क्या है?
आमतौर पर सैटेलाइट लॉन्च करने तक रॉकेट इंजन तीन प्रमुख स्टेज से गुजरते हैं।
पहले स्टेज में इंजन में सॉलिड रॉकेट बूस्टर्स का इस्तेमाल होता है। इसमें इंजन में सॉलिड फ्यूल होता है। इस स्टेज के बाद जब सॉलिड फ्यूल जलकर रॉकेट को आगे बढ़ाता है तो ये हिस्सा रॉकेट से अलग होकर गिर जाता है।
दूसरे स्टेज में लिक्विड फ्यूल इंजन का इस्तेमाल होता है। लिक्विड फ्यूल के जलने, यानी दूसरी स्टेज पूरी होते ही ये हिस्सा भी रॉकेट से अलग हो जाता है।
तीसरे और आखिरी स्टेज में क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल होता है, जो स्पेस में काम करता है। इसे क्रायोजेनिक स्टेज भी कहते हैं। क्रायो शब्द का मतलब होता है बेहद कम तापमान। यानी ऐसा इंजन, जोकि बेहद कम तापमान पर काम करे उसे क्रायोजेनिक इंजन कहते हैं।
क्रायोजेनिक इंजन में फ्यूल के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है। इसे क्रमश: -183 डिग्री और -253 डिग्री सेंटीग्रेड पर स्टोर किया जाता है। इन गैसों को लिक्विड में बदलकर उन्हें जीरो से भी कम तापमान पर स्टोर किया जाता है।