पुणे8 मिनट पहले
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भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नागपुर हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन (HCBA) के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित किया।
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार (5 अप्रैल) को पुणे पहुंचे थे। वे यहां हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल हुए।
अपने संबोधन में CJI ने कहा, ”न्यायपालिका के कंधे चौड़े हैं और वह प्रशंसा के साथ-साथ आलोचना भी सह सकती है। लेकिन पेंडिंग मामलों और फैसलों पर वकीलों का टिप्पणी करने की आदत काफी परेशान करती है।”
उन्होंने कहा कि वकील आम आदमी नहीं होते हैं। बार काउंसिल के पदाधिकारियों और सदस्यों को न्यायिक फैसलों पर प्रतिक्रिया देते समय यह नहीं भूलना चाहिए।
अधिकांश व्यक्तियों की राजनीतिक विचारधारा होती है
CJI ने कहा- बार काउंसिल एक संस्था के रूप में न्यायिक स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और अदालत की गरिमा को बनाए रखने के लिए जरूरी है। भारत जैसे जीवंत और तर्कशील लोकतंत्र में अधिकांश व्यक्तियों की राजनीतिक विचारधारा या झुकाव होता है।
अरस्तू के मुताबिक, मनुष्य राजनीतिक प्राणी हैं। इसलिए वकील भी कोई अपवाद नहीं हैं। हालांकि बार के सदस्यों के लिए किसी का सर्वोच्च हित पक्षपातपूर्ण हितों के साथ नहीं बल्कि अदालत और संविधान के साथ होना चाहिए।
संवैधानिक पीठ के फैसले सार्वजनिक संपत्ति
CJI ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि SC की संवैधानिक पीठ के फैसले कठोर कार्यवाही, संपूर्ण कानूनी विश्लेषण और संवैधानिक सिद्धांतों का परिणाम होते हैं। लेकिन एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद यह सार्वजनिक संपत्ति होता है।
उन्होंने आगे कहा कि एक संस्था के रूप में हमारे कंधे चौड़े हैं। हम प्रशंसा और आलोचना दोनों प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। चाहे वो गुलदस्ते हों, ईंट-पत्थर हों, पत्रकारिता की टिप्पणी, राजनीतिक टिप्पणी हो या सोशल मीडिया से मिलने वाली टिप्पणी की क्यों ना हो।
CJI चंद्रचूड़ के साथ सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई भी मौजूद रहे।
बार एसोसिएशन के सदस्यों की आदत मैं परेशान हूं
CJI ने कहा कि बार एसोसिएशन के सदस्यों और पदाधिकारियों को अदालत के फैसलों पर प्रतिक्रिया देते समय खुद को आम व्यक्ति से अलग करना चाहिए। मैं बार एसोसिएशन के सदस्यों की लंबित मामलों और निर्णयों पर टिप्पणी करने की आदत से बहुत परेशान हूं।
आप अदालत के सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी हैं। हमारी कानूनी चर्चा की सच्चाई और गरिमा आप के हाथ में है। भारत का संविधान एक समावेशी संविधान है। जिसका उद्देश्य “कसाई, बेकर और मोमबत्ती निर्माता यानी अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाना है।
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भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार 23 मार्च को कर्नाटक में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने जूनियर जजों से वर्क-लाइफ बैलेंस और स्ट्रैस मैनेजमेंट पर बात की। इस दौरान CJI ने कुछ दिन पुराना किस्सा सुनाया कि उन्हें भी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था। चंद्रचूड़ ने कहा- पांच दिन पहले मैं एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इस मामले की लाइव स्ट्रीमिंग भी हो रही थी। पूरी खबर पढ़ें