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कांग्रेस बोली- कंसल्टेंट की बातों का जवाब देना जरूरी नहीं: प्रशांत किशोर ने कहा था- अगर चुनाव में प्रदर्शन खराब रहे, तो राहुल ब्रेक लें

नई दिल्ली42 मिनट पहले

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प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का प्रभाव है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को हराया नहीं जा सकता है। - Dainik Bhaskar

प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का प्रभाव है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को हराया नहीं जा सकता है।

कांग्रेस और राहुल गांधी पर दिए PK के बयानों पर कांग्रेस ने अपनी राय देने से मना कर दिया है। जब कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से प्रशांत किशोर के बयानों को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी कंसल्टेंट की टिप्पणियों पर कमेंट की जरूरत नहीं है। राजनीतिक लोगों के बारे में बात कीजिए। कंसल्टेंट्स के बारे में जवाब देने का है ही क्या?

दरअसल, पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर ने हाल ही में कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर कई सुझाव दिए थे। प्रशांत ने कहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं मिलते हैं तो राहुल गांधी को राजनीति से ब्रेक लेने पर विचार करना चाहिए।

प्रशांत ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस को जिताने के लिए पिछले 10 साल से असफल प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद वे न तो राजनीति से अलग हुए और न ही किसी और को पार्टी का चेहरा बनने दिया। मेरी नजर में यह लोकतांत्रिक नहीं है।

जब आप पिछले 10 साल से एक ही काम कर रहे हैं और उसमें कोई सफलता नहीं मिली है, तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है। आपकी मां ने ऐसा ही किया था।पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने 1991 में राजनीति से दूरी बना ली। कांग्रेस की कमान पीवी नरसिम्हा राव को दे दी। उसका रिजल्ट आप सबको पता है।

राहुल को प्रशांत की 4 नसीहत…

1. हिंदी पट्टी में नहीं जीते, तो वायनाड जीतने का फायदा नहीं
प्रशांत ने राहुल को लेकर कहा कि कांग्रेस की लड़ाई उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में है, लेकिन उनके नेता मणिपुर और मेघालय का दौरा करते हैं। अगर आप यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में नहीं जीते, तो वायनाड से जीतने का कोई फायदा नहीं है। अकेले केरल जीतकर आप देश नहीं जीत सकते। अमेठी छोड़ देने से भी गलत संदेश जाएगा।

प्रशांत ने प्रधानमंत्री मोदी का उदाहरण देते हुए कहा- नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने गृह राज्य गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना था। इसलिए, क्योंकि आप भारत को तब तक नहीं जीत सकते जब तक आप हिंदी पट्टी को नहीं जीतते या हिंदी पट्टी में मौजूदगी दर्ज नहीं कराते।

2. राहुल को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं
प्रशांत किशोर ने कहा- दुनियाभर के अच्छे और बड़े नेताओं की एक विशेषता है। वे जानते हैं कि उनमें क्या कमी है। वे अपनी कमियों और खामियों को ठीक करने के लिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं, लेकिन राहुल को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं।

उन्होंने कहा- अगर आप मदद की जरूरत को नहीं पहचानते हैं, तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि राहुल गांधी को लगता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उन्हें जो सही लगता है उसे पूरा कर सके। यह संभव नहीं है।

3. राहुल ने 2019 में पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ा, जो बोला किया नहीं
प्रशांत किशोर ने कहा- 2019 के चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था। उन्होंने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को पार्टी की जिम्मेदारी देंगे, लेकिन उन्होंने जो लिखा, उसके विपरीत काम कर रहे हैं। कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति विशेष से बड़े हैं। राहुल को जिद नहीं करनी चाहिए कि बार-बार विफलताओं के बावजूद वही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

4. हार के लिए चुनाव आयोग और मीडिया पर सवाल उठाना गलत
प्रशांत ने राहुल के उन दावों पर सवाल उठाया जिसमें चुनाव में हार के लिए चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह आंशिक रूप से सच हो सकता है, लेकिन पूरा सच नहीं है। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनावों में कांग्रेस 206 सीटों से घटकर 44 सीटों पर आ गई थी जब वह सत्ता में थी और भाजपा का विभिन्न संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था।

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