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संजय मुखर्जी होंगे पश्चिम बंगाल के नए DGP: चुनाव आयोग ने एक दिन पहले राजीव कुमार को हटाया था; विवेक सहाय को कार्यभार दिया था

कोलकाता36 मिनट पहले

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मुखर्जी 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं और अब तक फायर डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। - Dainik Bhaskar

मुखर्जी 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं और अब तक फायर डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

चुनाव आयोग ने मंगलवार को IPS संजय मुखर्जी को पश्चिम बंगाल का नया डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) नियुक्त किया है। उन्हें आज शाम 5 बजे तक पदभार संभालने का निर्देश दिया गया है।

एक दिन पहले आयोग ने यहां के पश्चिम बंगाल के DGP राजीव कुमार और 6 राज्यों के गृह सचिव को पद से हटा दिया था। इसके बाद आयोग ने राज्य सरकार से तीन नाम मांगे थे। सरकार ने विवेक सहाय, संजय मुखर्जी और राजेश कुमार का नाम दिया था। राजीव कुमार के हटने के बाद एक दिन के लिए अंतरिम DGP के तौर पर विवेक सहाय ने पद संभाला था।

इसके अलावा IAS दीपक कुमार यूपी के नए गृह सचिव बनाए गए हैं। यूपी सरकार ने 3 IAS अफसर मनोज सिंह, देवेश चतुर्वेदी और दीपक कुमार का नाम चुनाव आयोग को भेजा था। 24 घंटे पहले गृह सचिव संजय प्रसाद को पद से हटाया गया था।

मुखर्जी फायर डिपार्टमेंट में कार्यरत थे
संजय मुखर्जी 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं और अब तक फायर डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वहीं, पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में सचिव बना दिया गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। चुनाव आयोग ने मंगलवार को 6 राज्यों के गृह सचिवों को भी हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 6 राज्यों के गृह सचिव भी हटाए
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के 18 मार्च को पश्चिम बंगाल के DGP और 6 राज्यों के गृह सचिव को हटा दिया। 6 राज्यों के गृह सचिवों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अफसरों का नाम शामिल है। विवेक सहाय को पश्चिम बंगाल का नया DGP बनाया गया था।

आयोग ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) कमिश्नर इकबाल सिंह चहल और मिजोरम के एक IAS अफसर को भी हटाने को कहा। महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन पहले चुनाव आयोग से BMC कमिश्नर को तबादले से छूट देने की अपील की थी। हालांकि, ECI ने ये अपील खारिज कर दी।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू की सोमवार दोपहर में बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। जिन अधिकारियों को हटाया गया है, उनके पास संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री कार्यालय में दोहरे प्रभार थे।

अब पढ़िए हटाए गए अफसरों के बारे में…

ममता ने जिस अधिकारी के लिए 70 घंटे धरना दिया था, चुनाव से ठीक पहले पद से हटाया गया
2016 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्ष ने डीजीपी राजीव कुमार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था। उस वक्त भी चुनाव आयोग ने पद से हटाया था। फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले सारदा चिट फंड घोटाले के आरोप में सीबीआई ने कुमार के घर बिना सर्च वारंट रेड डाली थी। जिस पर ममता ने 70 घंटे धरना दिया था।

लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले एक बार फिर राजीव कुमार अपने पद से हटाए गए। इस बार शाहजहां शेख की हाई कोर्ट के दबाव के बाद देरी से हुई गिरफ्तारी और सीबीआई को उसे सौंपने में अड़ियल रवैया वजह बना है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और डीजीपी राजीव कुमार। फाइल फोटो

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और डीजीपी राजीव कुमार। फाइल फोटो

पहले थे कोलकाता के सीपी
यूपी कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार पश्चिम बंगाल के डीजीपी बनने से पहले कोलकाता के पुलिस आयुक्त थे। वे पूर्व में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी काम रह चुके हैं।

यूपी के रहने वाले हैं राजीव कुमार
राजीव कुमार ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। वे प. बंगाल की स्पेशल टास्क फोर्स और CID में भी रह चुके हैं। राजीव कुमार उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

आईपीएस राजीव कुमार पूर्व में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के भी काफी पसंदीदा अधिकारियों में शामिल रह चुके हैं। पश्चिम बंगाल में ऐसी चर्चा होती आई वे अपनी जांच के तौर तरीकों और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के महारत के चलते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नजरों में आए थे।

TMC ने कहा- भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों का कंट्रोल अपने हाथ में लिया
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने DGP को हटाए जाने की कार्रवाई को गलत बताया। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि BJP चुनाव आयोग समेत कई संगठनों को हथियाने की पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद आज जो हुआ वह भाजपा का आईना है। BJP चुनाव आयोग के कामकाज को हथियाने और उन पर नजर रखने की पूरी कोशिश कर रही है।

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