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बेंगलुरु: कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के.जयप्रकाश हेगड़े मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को ‘जाति जनगणना’ की रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी. जनगणना पर को लेकर समाज के कुछ वर्गों और सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर आपत्ति की खबरें आ रही हैं. कांग्रेस के कई सदस्य इस मुद्दे पर बंटे हुए नजर आए, जिससे पार्टी के बहस छिड़ गई है.

हालांकि, रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा कि, ‘हमें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या है. सरकार को रिपोर्ट मिल गई है, इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा और वहां इस पर चर्चा की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा.’ वहीं, हेगड़े ने बताया कि 2014-15 में राज्य भर के जिलों के संबंधित उपायुक्तों के नेतृत्व में 1.33 लाख शिक्षकों सहित 1.60 लाख अधिकारियों द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई.

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हेगड़े ने कहा कि, ‘हमने एक रिपोर्ट तैयार की है और इसे सरकार को सौंप दिया है, और मैंने उन्हें (मुख्यमंत्री) यह कहते हुए सुना है कि वह इसे अगली बार कैबिनेट के सामने रखेंगे.’ वहीं, कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों वोक्कालियाग और लिंगायत ने इस सर्वेक्षण को नकार कर इसे ‘अवैज्ञानिक’ कहा है और इसे दोबारा कराने की मांग कर रहे हैं, हालांकि हेगड़े ने इन दावों को खारिज कर दिया कि यह अवैज्ञानिक है.

उन्होंने कहा कि ‘इसे (रिपोर्ट) किसने पढ़ा है इसे अवैज्ञानिक कहने के लिए… लीक के बारे में दावे हैं, कैसे? भले ही एक या दो चीजें लीक हुई हों, पूरी रिपोर्ट लीक नहीं हो सकती. मेरा सवाल यह है कि रिपोर्ट को अवैज्ञानिक कैसे कहा जा सकता है, बिना इसे पूरा पढ़े?’

कुछ मंत्रियों द्वारा ऐसे दावे करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘आपको उनसे इसके बारे में पूछना होगा.’ पिछड़ा वर्ग विकास मंत्री शिवराज एस तंगादगी ने कहा, रिपोर्ट को लेकर (सरकार में) किसी असंतोष का सवाल ही नहीं है. उन्होंने पूछा, ‘किसी ने रिपोर्ट नहीं देखी है, इसे देखे बिना आपत्ति कैसे हो सकती है.’

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हालांकि, वीरशैव-लिंगायत समुदाय के कांग्रेस के कुछ मंत्रियों और विधायकों ने अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं हैं. मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने कहा, सर्वे के दौरान कई घरों का दौरा नहीं किया गया. वीरशैव-लिंगायतों में भी 103 उपजातियां हैं, और लोगों ने सर्वेक्षण के दौरान अपनी जातियों को अलग-अलग नोट किया है, इसलिए, एक नए वैज्ञानिक सर्वेक्षण का अनुरोध है.

मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि यह सच है कि जाति जनगणना को लेकर विशेषकर वीरशैव-लिंगायत समुदाय के बीच आशंका है, क्योंकि उनमें से कई ने सर्वेक्षण के दौरान अपनी उप-जातियों के नाम दिए हैं, और समुदाय की मांग है कि सभी उप -जातियों को ‘वीरशैव-लिंगायत’ कहा जाना चाहिए.

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