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बेंगलुरु. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता के पालन में लाइसेंसी हथियार जमा करना दक्षिण कन्नड़ जिले के किसानों को भारी पड़ रहा है. हथियारों ने अभाव में अब अपनी फसलों को बंदरों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए किसानों ने पुलिस का रुख किया है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में लगभग 13,000 किसानों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं. वे इन बंदूकों का इस्तेमाल जंगली हाथियों, सूअर, बंदरों और अन्य जानवरों से अपनी फसलों की रक्षा के लिए करते हैं. कई किसानों ने अब हथियार जमा करने के नियम से छूट पाने के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है.

इस बीच किसान अपनी फसलों पर हमला होने पर पुलिस को बुलाने के लिए इमरजेंसी नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं. 9 अप्रैल को विट्टल इलाके के किसान निशांत नारायण बिल्लांपडवु ने अपनी फसलों को नष्ट कर रहे बंदरों को भगाने के लिए पुलिस को बुलाया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने इमरजेंसी नंबर 112 पर फोन किया और पुलिस से बंदरों के हमले की शिकायत की. जब तक पुलिस मौके पर पहुंची, तब तक बंदर फसलों को नुकसान पहुंचा चुके थे. कॉल के दौरान, किसान ने बताया कि वह डिप्टी कमिश्नर के कहने के मुताबिक पुलिस के पास गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निशांत ने पहले ही हथियारों को जमा करने से छूट के लिए हाईकोर्ट का रुख कर लिया था. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की और जमा करने से छूट दे दी. हालांकि, पुलिस ने अदालत के आदेश के विपरीत निशांत को हथियार नहीं सौंपे. इस घटना के बाद आखिरकार अगले दिन पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार निशांत को हथियार सौंप दिए.

किसान समूह रैयत संघ और हसीरु सेने पहले ही अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती की मांग को लेकर अभियान शुरू कर चुके हैं. 10 अप्रैल को संघ के अध्यक्ष श्रीधर शेट्टी बैलुगुट्टू ने उन किसानों से संपर्क करने की अपील किया, जिन्होंने जंगली जानवरों के खेतों में किसी भी तरह का उपद्रव करने पर 112 पर फोन कर शिकायत दर्ज कराई है. हाल ही में सवन्नूर इलाके के एक किसान रत्नाकर सुवर्णा पर जंगली सूअर ने हमला कर दिया, जिसका कारण हथियारों का अभाव बताया गया है.

Tags: Farmer, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Monkey

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