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लालू का खेल: 2000 में राबड़ी बनी थीं मुख्यमंत्री, 2024 में तेजस्वी बनेंगे सीएम? नीतीश के साथ रीपीट पॉलिटिकल ड्रामा

हाइलाइट्स

वर्ष 2000 में नीतीश कुमार को 7 दिन में ही देना पड़ा था इस्तीफा.
बिहार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे सीएम नीतीश.
वर्ष 2000 जैसी राजनीतिक स्थितियां 2024 में भी मिल रही हैं.

पटना. बिहार विधानसभा में एक बार फिर वर्ष 2000 वाली तस्वीर नजर आ रही है, जब 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब शपथ ली थी और उन्हें एक हफ्ते बाद बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था. लेकिन, उनकी सरकार विश्वासमत प्राप्त नहीं कर पाई थी और उन्हें सरकार गंवानी पड़ी थी. इसके बाद ही राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनी थीं. इस बार नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में आने और सरकार बनाने के बाद 28 जनवरी को नौवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं. आज 12 फरवरी को विधानसभा में उन्हें बहुमत साबित करना है. राजद खेमा लगातार कोशिश कर रहा है कि 2000 फिर रीपीट हो और नीतीश कुमार बहुमत साबित न कर पाएं.

बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा नहीं दिया है और आज पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. वहीं नीतीश कुमार के एनडीए खेमे की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि उनके पास बहुमत है और उनके सदस्यों की कुल संख्या 128 है जो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के 122 की संख्या से 6 अधिक हैं. वहीं, दूसरी ओर राजद खेमे की ओर से लगातार खेला होने का दावा किया जा रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बहुमत प्राप्त कर पाते हैं या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा.

वर्ष 2000 का सीन 2024 में रीपीट!

बता दें कि वर्ष 2000 में भी ठीक इसी तरह का सीन था. तब सीएम नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. उस समय बिहार झारखंड एक ही हुआ करता था और विधानसभा सदस्योयं की संख्या 324 थी. उस समय राजद ने 124 सीटें जीती थीं और सबसे बड़ी पार्टी थी. लेकिन 163 की बहुमत की संख्या से काफी दूर थी.

7 दिन में नीतीश ने दिया था इस्तीफा

उस दौर में कांग्रेस भी अलग चुनाव लड़ी थी और उसके 23 विधायक जीत कर बिहार विधान सभा पहुंचे थे. वहीं बीजेपी और नीतीश कुमार की समता पार्टी भी केवल 122 सीट ही जीत पाई थी, यानी यह खेमा भी बहुमत से दूर था. हालांकि, तब 20 निर्दलीय विधायकों का समर्थन नीतीश कुमार के पास था. लेकिन, समीकरण कुछ ऐसा बना कि नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ा था.

इस बार एनडीए के दावे में है दम

हालांकि, इस बार पस्थितियां कुछ अलग है, क्योंकि बहुमत नीतीश कुमार के पास होने का दावा किया जा रहा है. समीकरण भी कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं क्योंकि जदयू खेमे के पास जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ आने से 128 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत से छह अधिक है. अगर विधायक अपने नेता का साथ नहीं छोड़ेंगे तो एनडीए के लिए बहुमत साबित करना बेहद आसान होगा और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

Tags: Bihar News, Bihar politics, CM Nitish Kumar, Lalu Prasad Yadav, RJD leader Tejaswi Yadav

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