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लद्दाख19 मिनट पहले
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लद्दाख में कुछ भारतीय चरवाहों ने चीन से लगी सीमा के पास चीन के सैनिकों को जवाब दिया। ये चरवाहे इस इलाके में भेड़ें चराने आए थे। चीनी सैनिकों ने इन्हें रोका, जिसके बाद चरवाहों ने कहा कि हम भारतीय जमीन पर खड़े हैं। ये घटना इस महीने की शुरुआत की बताई जा रही है।
2020 में हुए गलवान विवाद के बाद से स्थानीय चरवाहे इस इलाके में अपने मवेशियों को चराने नहीं लाते थे। गलवान विवाद के बाद से ये पहली बार है जब चरवाहों ने इस इलाके को अपना बताया और चीनी सैनिकों को यहां से जाने को कहा। इस बातचीत का वीडियो सामने आया है।
लद्दाख के लेह जिले के चुशुल गांव के काउंसलर कोन्चोक स्टैन्जिन ने सोशल मीडिया पर ये वीडियो शेयर किया। उन्होंने लिखा कि देखिए किस तरह से हमारे स्थानीय लोगों ने चीन की सेना के सामने अपनी बहादुरी दिखाते हुए दावा किया कि जिस इलाके में उन्हें दाखिल होने से रोक रहे हैं वह हमारे बंजारों की ही चरागाह भूमि है।
चीन की सेना हमारे बंजारों को उनकी ही भूमि पर मवेशियों को चराने से रोक रही थी। ऐसा लगता है जैसे ये कभी न रुकने वाली प्रक्रिया है। लेकिन, मैं हमारे बंजारों को सलाम करता हूं, जो हमेशा हमारी जमीन की रक्षा के लिए देश की दूसरी संरक्षक शक्ति के रूप में खड़े रहते हैं।
कोन्चोक बोले- भारतीय सेना के प्रति आभारी हूं
एक अन्य ट्वीट में कोन्चोक ने लिखा कि पूर्वी लद्दाख के बॉर्डर वाले इलाकों में भारतीय सेना की फायर फ्यूरी कॉर्प्स सकारात्मक बदलाव लाई है, जिसे देखकर खुशी होती है। पैंगोग झील के उत्तरी किनारे से सटे चारागाह पर हमारे चरवाहों और बंजारों को हक दिलाने में सेना ने मदद की है। मजबूत सैन्य-नागरिक संबंध बनाने और बॉर्डर से सटे इलाकों के लोगों के हितों का ध्यान रखने के लिए भारतीय सेना का आभारी हूं।