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नई दिल्ली17 घंटे पहले
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भारत-मालदीव विवाद के बाद लक्षद्वीप जाने के लिए सोशल मीडिया पर ‘चलो लक्षद्वीप’ कैंपेन चलाया जा रहा है। इस कैंपेन के तहत लोगों को यात्रा के लिए मालदीव की बजाय लक्षद्वीप चुनने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत-मालदीव विवाद के बाद सोशल मीडिया पर चलो लक्षद्वीप कैंपेन चलाया जा रहा है, जिसमें लक्षद्वीप टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। इसी बीच लक्षद्वीप सांसद ने कहा- यह आइलैंड भारी संख्या में पर्यटकों को नहीं झेल सकता। यहां केवल 150 होटल रूम हैं और फ्लाइट्स भी काफी कम हैं।
NCP सांसद मोहम्मद फैजल ने NDTV से रविवार को कहा- अगर होटल रूम और फ्लाइट्स बढ़ाई भी गईं, तब भी यहां भारी संख्या में टूरिस्ट नहीं आ सकते, क्योंकि यहां का इकोसिस्टम काफी सेंसिटिव है, लोगों को नहीं झेल पाएगा।
मोहम्मद फैजल ने आगे कहा हम ‘इंटीग्रेटेड आइलैंड मैनेजमेंट प्लान’ के आधार पर ही यहां पर विकास करते हैं। यह वह प्लान है, जिसका जिक्र जस्टिस रविंद्रम आयोग की रिपोर्ट में था। इस आयोग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लक्षद्वीप के विकास के लिए बनाया गया था।
मोहम्मद फैजल ने कहा कि आयोग की सलाह पर ही हम नहीं चाहते कि लक्षद्वीप में एकदम से बहुत ज्यादा टूरिस्ट आएं। हम कम टूरिस्ट के सहारे रेवेन्यू जुटाने पर ध्यान देते आए हैं। जो भी लोग यहां आना चाहते हैं उन्हें ये बताना होगा कि वे यहां के पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
PM नरेंद्र मोदी 2-3 जनवरी को लक्षद्वीप में थे। उन्होंने यहां की तस्वीरें शेयर कीं। कहा- प्राकृतिक सुंदरता के अलावा लक्षद्वीप की शांति भी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। इसके बाद मालदीव के लोग PM मोदी और भारतीयों का मजाक उड़ाने लगे। इसके बाद भारत-मालदीव विवाद बढ़ता गया और ‘चलो लक्षद्वीप’ कैंपेन चलने लगा।
10 द्वीपों पर ही आबादी, बंगारम में केवल 61 लोग रहते हैं
लक्षद्वीप कुल 36 द्वीपों का समूह है, जिसमें सिर्फ 10 द्वीप ही रिहायशी हैं- कवरत्ती, अगत्ती, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय। बिट्रा में 271 और बंगारम द्वीप में 61 लोग ही रहते हैं। बाकी 26 द्वीप वीरान या वर्जिन हैं। लक्षद्वीप में पर्यटन उद्योग बढ़ रहा है, लेकिन आज भी मुख्य जीविका का जरिया मछली पकड़ना और नारियल की खेती है।
लक्षद्वीप में सिर्फ एक लोकसभा सीट है। 1967 से 1999 तक कांग्रेस के पीएम सईद ही सांसद रहे हैं। 2004 में यहां सीन बदला और पहली बार जनता दल की जीत के साथ बदलाव हुआ। इसके बाद फिर 2009 में कांग्रेस ने वापसी की। 2014 में यहां NCP ने जीत दर्ज की और 2019 में उसे बरकरार रखा।
यहां का प्रशासक केंद्र सरकार नियुक्त करती है। 2020 से यहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल हैं। पटेल मूलत: गुजरात भाजपा के नेता और मंत्री रहे हैं। उनके फैसलों के चलते लक्षद्वीप अक्सर सुर्खियों में रहता है। उन्होंने गोमांस पर बैन लगाया और शुक्रवार की सार्वजनिक छुट्टी को रविवार कर दिया था। सांसद मोहम्मद फैजल ने विरोध किया था। उनका कहना था कि प्रशासक अपनी मनमानी चलाते हैं, जबकि उन्हें चुने हुए प्रतिनिधि से चर्चा करके फैसले लेना चाहिए।
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