देश की सभी पार्टियां लोकसभा चुनाव के समर में कूद चुकी हैं. इससे बिहार का सीमांचल इलाका भी अछूता नहीं है. ऐसे में आज इसी इलाके की एक सबसे हॉट सीट की चर्चा करते हैं. यह सीट है कटिहार. यहां का चुनावी ट्रेंड जरा हट कर है. यहां जाति नहीं, धर्म के नाम पर मतदान होता है. ईबीएम तक पहुंचने से महज 24 से 48 घंटा पहले खेला हो जाता है. इस कारण राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले तारिक अनवर जैसे दिग्गज नेता भी मात खा जाते हैं. दुलाल गोस्वामी जैसे स्थानीय व्यक्ति यहां से सांसद बन जाते हैं. कटिहार क्यों महत्वपूर्ण है या इसको हॉट सीट क्यों कहा जाता है, यह इस बात से समझ लीजिये कि कभी बिहार के बर्खास्त राज्यपाल यूनिस सलीम यहां से सांसद बन चुके हैं.
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद यहां से किस्मत आजमा चुके हैं. वह 1996 में यहां से उम्मीदवार थे और हालांकि तीसरे नंबर पर रहे. इतना ही नहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी यहां से 1967 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं. बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव की करें तो पांच बार के सांसद तारिक अनवर को जदयू उम्मीदवार दुलालचंद गोस्वामी ने मात दिया था. कटिहार में तारिक अनवर के राजनीतिक कद का अंदाज आप इसी से लगा सकते हैं कि वह 1980 से ही कटिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. वर्ष 1980, 1984, 1996 और 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तारिक अनवर ने जीत हासिल की.
सोनिया के नाम पर बगावत
लेकिन, साल 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर बगावत करते हुए तारिक अनवर ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर शरद पवार और पीए सांगमा के साथ मिलकर एनसीपी बना ली. पार्टी छोड़ने के साथ-साथ उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस छोड़ने के बाद तारिक अनवर को भारी नुकसान हुआ और इसके बाद भाजपा की तरफ से निखिल कुमार चौधरी लगातार तीन बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, इस दौरान 2004 और 2010 में शरद पवार ने महाराष्ट्र से तारिक अनवर को दो बार राज्यसभा सांसद बनाने के साथ-साथ साल 2012 में मनमोहन सिंह की कैबिनेट में कृषि राज्य मंत्री का पद दिलवाया.
2014 के मोदी लहर में मिली जीत
हार के बावजूद कटिहार की राजनीति में सक्रिय रहे तारिक अनवर ने मोदी लहर में 2014 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के घड़ी वाले निशान से भाजपा उम्मीदवार निखिल चौधरी को पराजित कर चुनाव जीत लिया. इसके बाद घर वापसी करते हुए वह 2019 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में बिहार सरकार में मंत्री रहे दुलालचंद गोस्वामी के खिलाफ चुनाव लड़ा. लेकिन, इस बार उन्हें शिकस्त मिली. बेहद साधारण परिवार से आने वाले दुलालचंद गोस्वामी की राजनीति की शुरुआत भाजपा कार्यकर्ता के रूप में हुई थी. 1995 में भाजपा के टिकट पर वह पहली बार बरसोई विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने फिर 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बलरामपुर विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद वह जीतन राम मांझी सरकार में मंत्री भी बने.
जदयू ने मारी बाजी
हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में बलरामपुर विधानसभा में जदयू उम्मीदवार के रूप में दुलालचंद गोस्वामी तीसरे स्थान पर रहे, मगर तब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वास पात्र होने के कारण उन्हें 2019 में लोकसभा का टिकट दिया गया. जहां उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार तारिक अनवर को मात देकर विजय प्राप्त की.
कुल मिलाकर बात अगर कटिहार की राजनीति की हार जीत की करें तो अल्पसंख्यक बाहुल्य होने के बावजूद भाजपा का गढ़ माना जाने वाला कटिहार सीट पर जदयू उम्मीदवार जितने में कामयाब रहे. इसके पीछे का कारण यह है कि चुनाव के समय पर अल्पसंख्यक बाहुल्य इस इलाके में लोग जाति का मुद्दा पीछे छोड़कर धर्म के आधार पर वोटिंग करते हैं.
एक बार फिर लोकसभा चुनाव दस्तक दे रहा है. उम्मीद यही की जा रही है फिर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में तारिक अनवर और जदयू उम्मीदवार के रूप में दुलालचंद गोस्वामी आमने-सामने होंगे. हालांकि एक तरफ भाजपा का इस सीट को लेकर अपना ही दावा है. वहीं गठबंधन की तरफ से राजद और भाकपा माले भी ताल ठोक रहे हैं. इस बीच ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है.
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FIRST PUBLISHED : March 14, 2024, 19:17 IST