हाइलाइट्स
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से इस बार लालू परिवार से होगा उम्मीदवार या फिर कोई और?
पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में रामकृपाल यादव की गहरी पैठ, यादव समुदाय का भी समर्थन.
पाटलिपुत्र क्षेत्र से रीत लाल यादव या भाई वीरेंद्र के राजद के टिकट से लड़ने की अटकलें.
पटना. बीते दो चुनाव से पटना जिले की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर राजद अध्यक्ष लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती उम्मीदवार रही हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यह सीट लालू परिवार से बाहर चला जाएगा. दरअसल, इस सीट को लेकर राजद में नई दावेदारी सामने आई है और लालू परिवार का करीबी माने जाने वाले विधायक रीतलाल यादव ने पाटलिपुत्र सीट पर दावा ठोक दिया है. रीतलाल यादव ने मीडिया से कहा कि खुद लालू यादव ही चाहते हैं कि मैं पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ूं और जीतूं. रीतलाल यादव ने यह भी दावा किया कि भाई वीरेंद्र की दावेदारी पाटलिपुत्र सीट पर नहीं है.
वहीं, इसके जवाब में लालू परिवार के एक और करीबी भाई वीरेंद्र का भी पक्ष सामने आ गया है. उन्होंने भी पाटलिपुत्र सीट पर दावेदारी ठोक दी है. उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र की जनता चाहती है भाई वीरेंद्र चुनाव लड़े. पार्टी भी चाहती है मैं चुनाव लड़ूं. भाई वीरेंद्र ने कहा कि लालू जी और तेजस्वी जी अगर टिकट देंगे तो एक सीट पक्का दूंगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जिसे भी टिकट मिले भाई वीरेंद्र साथ खड़ा है. मैं पार्टी मैन हमेशा से रहा हूं. दूसरी ओर राजनीति के जानकार कहते हैं कि यहां कोई भी आ जाएं, लेकिन कभी लालू के ‘हनुमान’ रहे रामकृपाल यादव का काफी दम दिखता है.
दरअसल, 2014 और 2019 में रामकृपाल यादव ने यहां से जीत प्राप्त की थी और इस बार भी वह भाजपा के उम्मीदवार होंगे. 2019 के लोकसभा चुनाव में मीसा भारती की ये लगातार दूसरी हार थी. इसके पहले 2014 के चुनाव में भी रामकृपाल यादव ने उन्हें शिकस्त दी थी. दरअसल, रामकृपाल यादव जमीन के नेता माने जाते हैं और लालू परिवार के यहां से लड़ने के बावजूद रामृपाल यादव की क्षेत्र के यादव समुदाय में गहराई तक पैठ है. इसके साथ ही वह भाजपा में हैं और इस कारण मजबूत सामाजिक समीकरण बन जाता है जो रामकृपाल यादव की जीत का मार्ग प्रशस्त करता है.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रामकृपाल यादव जहां आरजेडी के यादव वोटबैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहे थे, वहीं भाजपा के कैडर वोट का उन्हें भरपूर समर्थन मिला था. बता दें कि 16 लाख वोटर्स वाले इस सीट पर 5 लाख यादव और साढ़े 4 लाख भूमिहार जाति के लोग हैं. आरजेडी से छिटके यादवों के साथ भूमिहार और दूसरी सवर्ण जातियों रामकृपाल यादव के पक्ष में मतदान किया था. जेडीयू के पिछड़े और अतिपिछड़े वोट बैंक ने भी रामकृपाल यादव के पक्ष में काम किया.
इसके साथ ही रामकृपाल यादव के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे की ताकत है. केंद्र की मोदी सरकार के विकास के कार्यों के इर्द-गिर्द चुनाव लड़ रहे रामकृपाल यादव के सकारात्मक इलेक्शन कैंपेन का असर भी है. पिछले चुनावों में मीसा भारती ने इलेक्शन कैंपेन में लगातार अपने चाचा (रामकृपाल यादव) की लालू यादव के साथ की धोखेबाजी की बात करके वोट मांगे थे. लेकिन, पुरानी बातों ने जनता पर असर नहीं किया और मीसा भारती की क्षेत्र से गैर मौजूदगी और रामकृपाल यादव की लगातार मौजूदगी के बीच जनता ने तुलना की और ‘लालू के हनुमान’
यहां यह भी बता दें कि रामकृपाल यादव साफ-सुथरी छवि वाले नेता हैं. अपने संसदीय क्षेत्र में वो सहज उपलब्ध रहते हैं. सांसद रहते हुए वो सभी वर्ग के लोगों के बीच जाते रहे हैं और उनकी राजनीतिक व्यवहार कुशलता का लाभ मिलता है. पीएम मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार की अतिपिछड़ों और महिलाओं के बीच पैठ भी रामकृपाल यादव के लिए राह आसान बनाती है. रामकृपाल की व्यक्तिगत लोकप्रियता की वजह का भी फायदा मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : March 21, 2024, 15:55 IST