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पहली बार बनेगा ट्रेड सीक्रेट एक्ट: गोपनीय फॉर्मूला नहीं बताना होगा, भारत में अब तक ऐसा कानून नहीं बना

नई दिल्ली10 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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विधि आयोग ने केंद्र सरकार को 289वीं रिपोर्ट का मसौदा सौंप दिया है। इसमें ट्रेड सीक्रेट एक्ट और आर्थिक गुप्तचरी को लेकर अलग कानून का उल्लेख है। - Dainik Bhaskar

विधि आयोग ने केंद्र सरकार को 289वीं रिपोर्ट का मसौदा सौंप दिया है। इसमें ट्रेड सीक्रेट एक्ट और आर्थिक गुप्तचरी को लेकर अलग कानून का उल्लेख है।

1977 में जब मोरारजी देसाई सरकार ने अमेरिका की कोका कोला कंपनी से फॉर्मूला उजागर करने को कहा तो वह कारोबार समेट कर लौट गई थी। ट्रेड सीक्रेट न पूछे जाने का भरोसा मिलने पर कंपनी 1993 में लौटी।

तभी से भारत के साथ कारोबार करते समय विदेशी कंपनियां अपने ट्रेड सीक्रेट और विभिन्न गोपनीय सूचनाओं के संरक्षण के लिए कानूनी कवच मांगती रही थीं। यह आखिरकार उन्हें मिलने जा रहा है।

विधि आयोग ने केंद्र सरकार को 289वीं रिपोर्ट का मसौदा सौंप दिया है। इसमें ट्रेड सीक्रेट एक्ट और आर्थिक गुप्तचरी को लेकर अलग कानून का उल्लेख है।

देश में अब तक ऐसा कानून नहीं
आयोग ने व्यापक विचार-विमर्श कर जाना कि सीक्रेट उजागर करने के लिए किन मामलों को अपवाद माना जाना चाहिए। देश में अब तक ऐसा कानून नहीं है, जो किसी वस्तु को बनाने का राज सुरक्षित रखता हो। बौद्धिक संपदा कानून और कॉपीराइट एक्ट इस जरूरत को पूरा नहीं कर पाते। भारत डब्ल्यूटीओ के ट्रिप्स एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर चुका है। इसके तहत ट्रेड सीक्रेट को संरक्षण देना लाजिमी है।

मसौदे में क्या हैं प्रावधान…

  • ट्रेड सीक्रेट गोपनीय जानकारी पर बौद्धिक संपदा अधिकार हैं, जिन्हें बेचा या लाइसेंस दिया जा सकता है। बौद्धिक संपदा अधिकार सीमित अवधि के लिए होते हैं। ट्रेड सीक्रेट अनिश्चित काल तक संरक्षित रह सकते हैं।
  • नकारात्मक अनुबंध या जॉब के बाद व्यक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। यानी कर्मचारी किसी कंपनी को छोड़ेगा तो यह मानकर कि वह पूर्व कंपनी के सीक्रेट उजागर कर देगा, उसके प्रतिस्पर्धी कंपनी में जाने पर प्रतिबंध नहीं होगा।
  • कानून में व्हिसिलब्लोअर, अनिवार्य लाइसेंसिंग, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित आादि अपवादों का भी उल्लेख हो।
  • अगर दो कमर्शियल कंपनियों के बीच ऐसा कोई मामला सामने आएगा, तो विदेशी सरकार को शामिल होना पड़ेगा। लिहाजा आयोग की राय है कि आर्थिक गुप्तचरी के मामलों से अलग कानून बनाकर निपटा जाना चाहिए।

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