झुंझुनूं. लोकसभा चुनाव नजदकी आने के साथ ही राजस्थान के शेखावाटी के सैन्य बहुल झुंझुनूं जिले की राजनीति में हलचल मची हुई है. यहां के वर्तमान सांसद नरेन्द्र खीचड़ पर बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में दांव खेला था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. विधानसभा चुनाव में खीचड़ की हार के बाद अब यहां पार्टी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बदलने की तैयारी करती हुई दिख रही है. सांसद नरेंद्र खीचड़ की विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी अब उन्हें फिर से लोकसभा चुनाव में टिकट देने का जोखिम उठाने में हिचकिचा रही है. यहां पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव लगाकर अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहती है.
सांसद नरेंद्र खीचड़ की पुत्रवधू हर्षिनी कुलहरी वर्तमान में झुंझुनूं की जिला प्रमुख हैं. ससुर नरेंद्र कुमार सांसद होने के बावजूद मंडावा विधानसभा का चुनाव हार गये. अब यह हार उनके गले पड़ गई है और लोकसभा टिकट पर संकट मंडराने लग गया है. राजनीति के जानकार अब कयास लगा रहे हैं कि बीजेपी यहां हर्षिनी को अपना उम्मीदवार बना सकती है. हर्षिनी भी यही कह रही हैं कि पार्टी उसे जो भी जिम्मेदारी देगी वो उसे निभाने के लिए तैयार हैं.
झुंझुनूं के वर्तमान सांसद नरेंद्र कुमार को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रीटा चौधरी के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था. उसके बाद से ही सांसद नरेंद्र विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं. पार्टी में भी झुंझुनूं सांसद की अब पकड़ वो नहीं रह गई बताई जा रही है जो एक जमाने में हुआ करती थी. लेकिन पीएम मोदी की संकल्प यात्राओं को धरातल पर मजबूती प्रदान कर एक बार फिर सांसद टिकट की कोशिश कर रहे हैं. उनकी यह कोशिश कितनी सफल होगी यह तो भविष्य के गर्भ में है.
फिलहाल तो सांसद की टिकट की राहों कांटे ही कांटे दिखाई दे रहे हैं. सांसद की झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में पकड़ कमजोर होती देख उनके ही सहयोगी अब खुद के लिए टिकट की मजबूती से दावेदारी पेश कर रहे हैं. इनमें पूर्व सांसद संतोष अहलावत से लेकर पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी तक शामिल हैं. संतोष अहलावत की भी विधानसभा चुनाव में सूरजगढ़ से हुई करारी हार उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है. वहीं उदयपुरवाटी से चुनाव हारे शुभकरण चौधरी के लिए भी टिकट का रास्ता बेहद चुनौतीभरा है.
झुंझुनूं सीट के लिए बीजेपी इसलिए परेशान हो रही कि क्योंकि वर्तमान सांसद नरेंद्र खीचड़ मंडावा से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से फतेहपुर, मंडावा, झुंझुनूं, सूरजगढ़, पिलानी और उदयपुरवाटी कांग्रेस के पास है. यहां कि आठ विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस का कब्जा है. बीजेपी के पास सिर्फ नवलगढ़ और खेतड़ी विधानसभा सीट है. झुंझुनूं में किसान आंदोलन का भी असर नजर आ रहा है.
यहां बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसका कांग्रेस के मुकाबले मजबूत कॉडर है. यमुना जल समझौते के बाद झुंझुनूं को पेयजल के साथ सिंचाई का पानी मिलने का रास्ता साफ हो गया है. इसलिए लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसी मुद्दे पर वोट मांगेगी. डबल इंजन की सरकार के भरोसे बीजेपी झुंझूनूं का किला फिर एक बार फतह करने की कोशिश करेगी. मोदी लहर से पार्टी को फिर से जीत की आस है.
यही वजह है कि पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ने के लिए कई नेताओं ने मजबूत दावेदारी पेश की है. पार्टी के सामने कई विकल्प भी मौजूद हैं. लेकिन वो इस बार तजुर्बे के साथ नये और उर्जावान चेहरों को मौका देना चाहती है ताकि नव मतदाता और युवा मतदाता उसके पक्ष में वोट कर सकें. इसके साथ ही चुनाव के दौरान पार्टी की हर तरफ चमक नजर आए.
विधानसभा चुनाव में झुंझुनूं जिले से बीजेपी के लिए नतीजे उत्साहजनक नहीं रहे. लेकिन मोदी लहर से उसकी उम्मीदें बरकरार है. पार्टी के कार्यकर्ता विकसित भारत संकल्प यात्रा में देश और दुनिया के लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने के संकल्प को पूरा करने के इरादे से जी जान से जुट गए हैं. उनके सामने चुनौतियां भले ही हैं लेकिन उनके इरादे कहीं भी कमजोर नहीं दिख रहे हैं. इसलिए बीजेपी झुंझुनूं का अपना किला बचाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी है.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2024, 11:21 IST