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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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केंद्र सरकार ने 11 मार्च को CAA लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार 12 मार्च को कहा कि 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों को किसी भी स्थिति में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से डरने की जरूरत नहीं है। इससे उनकी (भारतीय मुसलमानों) नागरिकता और समुदाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे भारत में रहने वाले हिंदुओं की तरह ही अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इससे पहले मंगलवार (12 मार्च को) सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA के तहत भारतीय नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय ने वेब पोर्टल लॉन्च किया। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
केंद्र ने सोमवार (11 मार्च) को CAA का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया। असल में मुस्लिमों के एक धड़े ने CAA को लेकर चिंता जताई थी। गृह मंत्रालय ने इसी को क्लियर किया है।
इस्लाम शांतिप्रिय धर्म, जिसमें न तो हिंसा और न ही नफरत- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने बयान में ये भी कहा कि तीन मुस्लिम देशों (अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश) में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के कारण पूरी दुनिया में इस्लाम का नाम तरह खराब हुआ। इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है, जिसमें धार्मिक आधार पर न तो नफरत और न ही हिंसा की बात कही गई है।
होम मिनिस्ट्री के बयान में ये भी कहा गया है कि CAA उत्पीड़न के नाम पर इस्लाम को कलंकित होने से बचाता है। भारत का पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है, जिसके तहत प्रवासियों को वहां वापस भेजा जा सके।
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सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA के तहत भारतीय नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय ने वेब पोर्टल लॉन्च किया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए हैं। केंद्र ने सोमवार (11 मार्च) को CAA का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया। CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। पूरी खबर पढ़ें…