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खालिस्तानी आतंकी पन्नू बोला- केजरीवाल को ₹134 करोड़ दिए: दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी को छुड़ाने की डील हुई थी, लेकिन वो इससे मुकर गए

नई दिल्ली24 मिनट पहले

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खालिस्तानी आतंकी पन्नू संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का चीफ है। वो कई बार भारत पर हमले की धमकियां दे चुका है। - Dainik Bhaskar

खालिस्तानी आतंकी पन्नू संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का चीफ है। वो कई बार भारत पर हमले की धमकियां दे चुका है।

आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दावा किया है कि खालिस्तान समर्थकों ने दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को 2014 में 134 करोड़ रुपए देकर आर्थिक मदद की थी।

पन्नू के मुताबिक, 2014 में न्यूयॉर्क के गुरुद्वारा रिचमंड हिल्स में उनके साथ केजरीवाल ने एक बैठक की थी। इस मीटिंग में AAP नेता ने आर्थिक मदद के बदले 1993 के दिल्ली बम ब्लास्ट में दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को जेल से छुड़वाने का वादा किया था।

पन्नू ने वीडियो जारी कर केजरीवाल पर आरोप लगाया कि बाद में वे अपने वादों से मुकर गए। आम आदमी पार्टी (AAP) की तरफ से इस पर कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी नहीं किया गया है। पार्टी सूत्रों ने पन्नू के दावों का खंडन करते हुए उसे बेतुका बताया है।

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने केजरीवाल के साथ दिल्ली बम ब्लास्ट के दोषी को छुड़ाने के लिए डील होने का दावा किया है।

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने केजरीवाल के साथ दिल्ली बम ब्लास्ट के दोषी को छुड़ाने के लिए डील होने का दावा किया है।

पन्नू ने केजरीवाल पर हमला करवाने की धमकी दी
पन्नू ने यह वीडियो सोमवार (25 मार्च) को जारी किया था। उसने इसमें केजरीवाल पर विश्वास तोड़ने का भी आरोप लगाया। साथ ही उसने कहा कि AAP सरकार ने कई खालिस्तानियों को गैंगस्टर बताकर उनकी हत्या करवा दी।

पन्नू ने वीडियो में चेतावनी देते हुए कहा- एक बार केजरीवाल को जेल भेज दिया गया, तो जेल में खालिस्तान समर्थक कैदी उनसे पूछताछ करेंगे। इसके अलावा उन्होंने केजरीवाल पर जेल में हमला करवाने की धमकी दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस धमकी के बाद सुरक्षा एजेंसियों केजरीवाल के तिहाड़ जेल जाने पर उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

केजरीवाल ने भुल्लर की माफी के लिए राष्ट्रपति को लिखा था खत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 में अरविंद केजरिवाल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिल्ली बम ब्लास्ट के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की माफी की मांग करते हुए एक लेटर भी लिखा था। जनवरी 2024 में सेटेंस रिव्यू बोर्ड (SRB) के अध्यक्ष कैलाश गहलोत ने भुल्लर की याचिका को खारिज कर दिया था।

उनका कहना था कि यह समय से पहले रिहाई दिए जाने वाला मामला नहीं है। सात सदस्यीय SRB कमेटी का विचार था कि अगर ऐसे दोषी को रिहा किया जाता है, तो यह देश की अखंडता और शांति के लिए ठीक नहीं होगा।

तस्वीर में दिल्ली बम ब्लास्ट का दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर पुलिस की गिरफ्त में नजर आ रहा है। उसे 2001 में फांसी की सजा दी गई थी।

तस्वीर में दिल्ली बम ब्लास्ट का दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर पुलिस की गिरफ्त में नजर आ रहा है। उसे 2001 में फांसी की सजा दी गई थी।

1993 में भुल्लर दिल्ली बम ब्लास्ट में दोषी पाए गए थे
देविंदर पाल सिंह भुल्लर का जन्म 26 मई 1965 में बठिंडा के गांव दियाल बहका में हुआ था। उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और उसके बाद लुधियाना में एक कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी कर ली। 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार और दिल्ली सिख दंगों के बाद भुल्लर ने खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स जॉइन कर ली।

भुल्लर 25 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है। इस साल फरवरी में भुल्लर ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से समय से पहले रिहाई की मांग वाली अपनी याचिका वापस ले ली। दरअसल, भटिंडा के दयालपुरा भाईके के रहने वाले भुल्लर पर 1993 सितंबर में हुए दिल्ली बम ब्लास्ट के मामले में केस दर्ज किया गया था। 2001 में उन्हें अदालत में मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था।

11 सितंबर 1993 भुल्लर ने कार में RDX रखकर उसे दिल्ली में इंडियन यूथ कांग्रेस के दफ्तर के बाहर ब्लास्ट कर दिया था।

11 सितंबर 1993 भुल्लर ने कार में RDX रखकर उसे दिल्ली में इंडियन यूथ कांग्रेस के दफ्तर के बाहर ब्लास्ट कर दिया था।

1993 दिल्ली बम ब्लास्ट में 9 लोग मारे गए थे
11 सितंबर 1993 को यूथ कांग्रेस के नेता रहे मनजिंदर सिंह बिट्टा इंडियन यूथ कांग्रेस के दिल्ली स्थित दफ्तर में मीटिंग कर रहे थे। इस दौरान खालिस्तानी समर्थक दविंदर पाल सिंह भुल्लर RDX से भरी अपनी कार दफ्तर के बाहर छोड़ कर खुद वहां से चला गया था।

थोड़ी दूर जाकर भुल्लर ने रिमोट से ब्लास्ट कर दिया था। इस ब्लास्ट में बिट्टा के दो गनमैन सहित 9 लोग मारे गए थे और 26 लोग गंभीर जख्मी हो गए थे। ब्लास्ट करने के बाद भुल्लर जर्मनी भाग गया। वहां दिसंबर 1994 में उसने एप्लीकेशन देकर राजनीतिक शरण की मांग की। हालांकि, जर्मनी की सरकार ने इस अपील को खारिज कर उसे भारत डिपोर्ट कर दिया था।

इसके बाद भुल्लर को एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था। 25 अगस्त 2001 दोषी साबित होने पर कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद कई सिख संगठन और यहां तक मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल ने फांसी माफ कर सजा उम्रकैद में तब्दील करने के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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