Breaking
Mon. Dec 23rd, 2024

हाइलाइट्स

सॉल्वर गैंग के टारगेट पर होते हैं एससी-एसटी कैंडिडेट.
कैंडिडेट्स पर कोचिंग से ही सॉल्वर गैंग रखता है नजर.
सॉल्वर गैंग और छात्रों के बीच काम करते हैं चार चैनल.

पटना. बिहार में ऐसा सॉल्वर गैंग सक्रिय है जो यूपी, झारखंड की तरह ही परीक्षार्थियों को परीक्षा पास करने का ठेका लेता है. गैंग के सदस्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में क्वेश्चन आउट कर या फिर स्कॉलर के माध्यम से कैंडिडेट को परीक्षा पास करवाने की गारंटी देते हैं. सॉल्वर गैंग के टारगेट पर ज्यादातर एससी एसटी कैंडिडेट होते हैं. यह गैंग छात्रों पर कोचिंग क्लास से ही अपनी नजर बनाए रखता है और एग्जाम नजदीक आने पर उन्हें नौकरी का सब्जबाग दिखता है.

दरअसल, बिहार में जो सॉल्वर गैंग सक्रिय हैं वे पूरे देश भर में काम कर रहे हैं. सॉल्वर गैंग कैंडिडेट को परीक्षा पास करवाने की एवज में मोटी रकम ऐंठते हैं. सॉल्वर गैंग का एक सदस्य जो अब तक दो दर्जन से अधिक कॉम्पिटिटिव एक्जाम में शामिल हो चुका है, उसने चौंकाने वाला खुलासा किया है. सॉल्वर की मानें तो साल 2000 में मैट्रिक की परीक्षा पास कर वह पटना पहुंचा था. पढ़ाई के लिए वह हमेशा सेंट्रल लाइब्रेरी जाया करता था. वहां सेटर के एक ऐसे ग्रुप से उसकी पहचान हुई जो पहले से यह काम कर रहे थे.

साल 2002 में उसने पहली बार ग्रुप डी एग्जाम में एससी-स्ट कैंडिडेट के बदले परीक्षा दी थी, जिसके आगे में उसे 50,000 का भुगतान किया गया था. इसके बाद यह सिलसिला लगातार चला गया और उसने अब तक दर्जनों के बदले परीक्षा दी है. सॉल्वर ने दावा किया कि उसके निशाने पर ज्यादातर एससी-स्ट कैंडिडेट होते हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि उनका कट ऑफ मार्क्स कम जाता है, ऐसी स्थिति में सॉल्वर और स्कॉलर के लिए या बेहद ही फायदेमंद साबित होता है. सेटर ऐसे एससी एसटी कैंडिडेट की तलाश में होते हैं जो पैसा देने में सक्षम हो.

सॉल्वर की मानें तो छात्रों और एक सॉल्वर के बीच में कम से कम चार चैनल काम करते हैं. सॉल्वर के खुद का छात्रों से कोई कांटेक्ट नहीं होता है. बीच में चार चैनल काम करते हैं. पकड़े जाने की स्थिति में एक सॉल्वर छात्र के बारे में बहुत ज्यादा कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं होता है. वहीं, अगर छात्र पकड़ा जाता है तब वह भी सॉल्वर के बारे में कुछ बताने में सक्षम नहीं होता है.

सॉल्वर की मानें तो परीक्षा में धांधली से पहले यह जानना जरूरी है कि प्रश्न पत्र सॉल्वर के पास पहुंचता कैसे हैं? इसके लिए में सेंटर सुपरिंटेंडेंट को मैनेज करता है. हर एग्जाम सेंटर का प्रश्न पत्र एक घंटा पहले पहुंच जाता है. प्रश्न पत्र की कोडिंग की जाती है जो एबीसी डी ग्रुप में विभाजित होती है. प्रश्न पत्र का फोटो खींचकर 1 घंटे पहले सेंटर के पास पहुंचना होता है. इसके बाद उसे सॉल्वर को दे दिया जाता है.

बताया जाता है कि एक सॉल्वर इसे 15 से 20 मिनट में हल कर देता है. फिर इसे छात्रों तक पहुंचा दिया जाता है. प्रश्न पत्र सेट को फिर से नकली सील के साथ  छात्रों तक पहुंचाया जाता है और उनके सामने इसे खोल भी जाता है. इसके पहले छात्रों का कंसेंट लेना होता है, ताकि किसी प्रकार की शक की कोई गुंजाइश न हो.

Tags: Bihar latest news, Bihar News

Source link

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *