हाइलाइट्स
चीन में 1.2 अरब की आबादी के बीच सिर्फ 100 ही सरनेम
भारत में 40 लाख जातिनाम हैं हालांकि सबसे ज्यादा प्रचलित कुछ ही
डाटा और रिकॉर्ड्स की बात करें तो दुनिया में कई देश हैं जिनकी आबादी भी अच्छी खासी है और सरनेम यानि जातिनाम भी ढेर सारे. भारत और चीन की आबादी 140 करोड़ या इससे ज्यादा बताई जाती है. चीन में तो बताया जाता है कि वहां केवल 109 सरनेम हैं. भारत में जातिनाम के साथ जगह, पेशा और पारिवारिक पहचान जैसी चीजें भी जुड़ जाती हैं. अघोषित तौर पर ये दावा किया जाता है कि भारत में 40 लाख सरनेम हैं लेकिन ये दावा उतना सटीक नहीं लगता. गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसे अपना दावा किया जो पुख्ता डाटा पर आधारित है.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस कहती है कि फ्रांस दुनिया का ऐसा देश है जहां दुनिया में सबसे ज्यादा सरनेम हैं. अनुमान है कि वहां पिछली एक सदी में करीब 2 लाख जातिनाम लुप्त हो गए लेकिन इससे कहीं ज्यादा जुड़ गए. इसी के आधार पर गिनीज बुक ने दावा किया कि दुनिया में फ्रांस वो देश है जहां सबसे ज्यादा सरनेम हैं.
गिनीज ने भी ये डाटा द एटलस ऑफ सरनेम्स इन फ्रांस के जरिए लिये हैं. बकौल इसके अब फ्रांस में 5.2 लाख जातिनाम यानि सरनेम हैं. इसका कहना है कि फ्रांस में सबसे कॉमन सरनेम मार्टिन है. इसके बाद बर्नार्ड, थामस और डूपोंट. वहीं जर्मन बोलने वाले यूरोपीय देशों में 10 लाख जातिनाम हैं जो आमतौर पर पारिवारिक नाम हैं. ये नाम आमतौर पर भौगोलिक स्थिति, पेशा और कई तरह के कैरेक्टर्स को लेकर बने होते हैं. भारत में भी कुछ ऐसा ही
हालांकि ये हैरानी की बात हो सकती है कि चीन की आबादी बेशक 140 करोड़ है लेकिन वहां सरनेम केवल 100 के आसपास ही मिलेंगे. चीन में अगर आप किसी को सड़क पर अचानक रोककर उसका सरनेम पूछें तो बहुत मुमकिन है कि वो वांग, ली, झांग, लिउ या चेन बताए. ये पांच सरनेम चीन की 30% आबादी (Population of China) के हैं यानी 43.3 करोड़ लोगों के. साफ़ ज़ाहिर है कि चीन में सरनेम का टोटा है.
चीन के लोक सुरक्षा मंत्रालय के दस्तावेज़ों से खुलासा होता है कि तकरीबन 6000 सरनेम ही इस्तेमाल में हैं, जबकि 86% आबादी के बीच सिर्फ 100 सरनेम ही लोकप्रिय हैं.
भारत में कितने जातिनाम
भारत में जनगणना में सरनेम के बारे में कोई डेटा अलग से होने संबंधी पुष्ट जानकारी नहीं है. अनुमानों की मानें तो करोड़ों सरनेम इस्तेमाल में होंगे लेकिन भारत में एनसेस्ट्री जैसी वंश और जाति का हिसाब किताब रखने वाली वेबसाइट कहती है कि भारत में 40 लाख के आसपास जातिनाम हैं.
अमेरिका में कितने जातिनाम
अमेरिका की आबादी चीन के मुकाबले एक चौथाई के करीब है लेकिन यहां 2010 की जनगणना में 63 लाख सरनेम इस्तेमाल में पाए गए. हालांकि इनमें से ज़्यादातर सरनेम के केस ऐसे मिले, जिसमें कोई सरनेम किसी एक का ही था, यानी यूनिक सरनेम काफी हैं.
भारत या अमेरिका जैसे बड़े देश सांस्कृतिक तौर पर काफी विविधता समेटे हुए हैं, जबकि चीन में नस्ल या समुदायों के हिसाब से विविधता बहुत नहीं है. दूसरा कारण भाषा से भी जुड़ा है. जानकारों के मुताबिक कोई भी अतिरिक्त अक्षर जोड़ या घटाकर कोई नया सरनेम बना लेना चीनी भाषा में अंग्रेज़ी जैसी आसान बात नहीं है.
चीन में क्यों इतने कम सरनेम
तीसरा कारण है तकनीक. जी हां, चीन में कई लोगों ने अपने पुराने सरनेम छोड़कर नए इसलिए भी अपनाए हैं ताकि डिजिटल दुनिया में वो पीछे न छूटें. चीन के कंप्यूटर सिस्टम में चीनी भाषा के जो तरीके स्टैंडर्ड के तौर पर हैं, उनके हिसाब से भाषा में फेरबदल कर बनाए गए नाम रजिस्टर नहीं हो पाते इसलिए यह भी बड़ा कारण रहा है कि सरनेम सिमटते चले गए.
कैसे लुप्त हो गए चीन के सरनेम?
चीन में स्थिति हमेशा ऐसी नहीं थी. सीएनएन की एक रिपोर्ट में जानकारों के हवाले से बताया गया है कि पहले 23 हज़ार सरनेम तक चीन में प्रचलित थे, जो अब 6000 तक सिमटकर रह गए हैं. चीन में सरनेम को लेकर हुए सर्वे में यह भी बताया गया कि कागज़ की खोज से पहले यानी कांसा युग से सरनेम किस तरह प्रचलित रहे.
चूंकि चीन का इतिहास माइग्रेशन, राजनीतिक बखेड़ों और युद्धों से भरा रहा इसलिए असर सीधे लोगों के नामों पर भी पड़ता रहा. नए वंशों और शासकों के समय में पुरानी जो कई चीज़ें या बातें छोड़ी गईं, उनमें सरनेम भी शामिल रहे. कई बार भाषा की सहूलियत के लिए भी नाम बदले गए तो अंधविश्वासों के चलते भी कई सरनेम छूटे.
भाषा कैसे बन गई है समस्या?
अब हाथ से लिखने वाला ज़माना नहीं रहा, तो डिजिटल फॉर्मेट में जो चीज़ें अनुकूल नहीं साबित होतीं, उन्हें छोड़ देना ही रास्ता रह जाता है. चीनी भाषा में कई कैरेक्टर हैं, जिनमें से 2017 तक 32,000 कंप्यूटर डेटाबेस में शामिल किए गए, लेकिन अन्य हज़ारों स्टैंडर्ड फॉर्मेट में रजिस्टर नहीं किए जा सके. चूंकि चीन उन देशों में है, जहां लगभग सभी कुछ डिजिटल हो चुका है इसलिए इस कारण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
दुनिया के सबसे प्रचलित सरनेम
वांग- चीन में ज्यादातर लोगों का सरनेम वांग है. मंदारिन में इसका अर्थ “राजा” होता है. चीन में इसे 92 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा साझा किया जाता है, जिससे ये दुनिया में सबसे लोकप्रिय सरनेम है.
स्मिथ – संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में ये जातिनाम बड़ी संख्या में है. इसकी उत्पत्ति इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में मध्य अंग्रेजी काल के दौरान एक ऐसे उपनाम के रूप में हुई थी, जो धातु के साथ काम करता था.
किम – किम उत्तर और दक्षिण कोरिया, साथ ही कजाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान दोनों में सबसे आम जातिनाम है.
अली – अली सोमालिया, इरिट्रिया, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और लीबिया में सबसे सरनेम है.
गार्सिया- गार्सिया स्पेन और इक्वाडोर में सबसे लोकप्रिय सरनेम है.
मुलर – यह जर्मनी और स्विट्जरलैंड में सबसे आम उपनाम है.
सिल्वा/डा सिल्वा – सिल्वा पुर्तगाल में सबसे लोकप्रिय उपनाम है
मोहम्मद – य़े चाड, मिस्र, यमन, कोमोरोस, जिबूती, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, त्रिनिदाद, मालदीव और टोबैगो में सबसे लोकप्रिय है.
एशिया में सबसे आम सरनेम
वांग
ली
झांग
चेन
लियू
वांग दुनिया में सबसे लोकप्रिय उपनाम है.
अफ़्रीका में सबसे लोकप्रिय उपनाम
मोहम्मद
अली
अहमद
इब्राहिम
मुहम्मद
अफ़्रीका में, सबसे आम उपनाम मोहम्मद है
यूरोप में सबसे ज्यादा सरनेम
गार्सिया
मार्टिन
मुलर
रोड्रिगेज
फर्नांडीज
उत्तरी अमेरिका में सबसे अधिक जातिनाम
हर्नेनडेज़
गार्सिया
मार्टिनेज
लोपेज
गोंजालेज
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Tags: Caste Based Census, Caste Census, Caste identity
FIRST PUBLISHED : April 15, 2024, 12:28 IST