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कानपुर के व्यक्ति ने ‘घड़ी’ में देखा भविष्य, अब 12,000 करोड़ का मालिक, इस्तेमाल करके विश्वास करते हैं लोग

Success Story : ज्ञान और मेहनत का मेल किसी भी लक्ष्य को हासिल करने का परफेक्ट फॉर्मूला है. उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी दो भाइयों ने अपनी नॉलेज और कड़ी मेहनत के बूते पहाड़-सा लक्ष्य पा लिया. बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट इनके सामने छोटे लगने लगे. दोनों भाइयों के नाम हैं – मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी. आज की कहानी में हम मुरलीधर ज्ञानचंदानी के सफरनामे की बात करेंगे. हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि इसकी सफलता की कहानी जानने के बाद आप भी आत्मविश्वास से भर जाएंगे.

आम तौर पर लोग अपना बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचते ही रह जाते हैं. वजह होती है डर. वे डरते हैं कि पहले से बड़ी कंपनियां उस धंधे में हैं और वो उन्हें टिकने नहीं देंगी. मन में ऐसा विचार रखकर वे खुद को कम आंक रहे होते हैं. कानपुर निवासी मुरलीधर ज्ञानचंदानी के सामने भी ऐसी ही स्थिति थी, मगर वे डरे नहीं और आज 12,000 करोड़ की वैल्यूएशन वाली कंपनी के मालिक हैं. उन्होंने एक ऐसी ‘घड़ी’ बनाई, जिसने न केवल उनका, बल्कि पूरे परिवार का भविष्य बदल दिया.

मुरलीधर ज्ञानचंदानी और उनके पिता 1980 में ग्लिसरीन का इस्तेमाल करके साबुन बनाते थे. साबुन अच्छा था और खूब बिक रहा था. इसी बीच मुरलीधर ने महसूस किया कि डिटर्जेंट बनाने का काम किया जाना चाहिए. उन्होंने पहले ही भविष्य को देख दिया था. तब बाजार पर 30 प्रतिशत कब्जे के साथ एक नामी डिटर्जेंट की तूती बोलती थी. कुछ रिसर्च और समझ के बाद मुरलीधर ने 1987 में अपनी डिटर्जेंट कंपनी बनाई. इसी कंपनी के तहत एक ब्रांड बनाया गया, जिसे आज लोग घड़ी डिटर्जेंट (Ghadi Detergent) के नाम से जानते हैं.

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मुरलीधर ने घड़ी डिटर्जेंट को 35 रुपये किलोग्राम के हिसाब से बेचना शुरू किया. उस वक्त की देश की सबसे मशहूर डिटर्जेंट की कंपनी के मुकाबले यह 10 फीसदी महंगा था. परंतु मुरलीधर जानते थे कि मशहूरी कुछ इस तरीके से करनी होगी कि लोगों को यह महंगा न लगे. इसी के मद्देनजर प्रचार में बताया गया कि घड़ी डिटर्जेंट ज्यादा झाग पैदा करता है और इसकी क्वालिटी बहुत अच्छी है. यह प्रचार हिट रहा और सेल बढ़ने लगी.

बड़े ब्रांड से निपटने का तरीका
मुरलीधर ज्ञानचंदानी के सामने बड़े ब्रांड थे, जिनसे पार पाना बड़ा ही असाध्य सा काम प्रतीत होता था. ऐसे में प्लान बनाया गया कि पूरे देश में एक साथ पांव फैलाने की बजाय केवल उत्तर प्रदेश पर ही फोकस किया जाए. ऐसा किया गया और केवल यूपी से ही 100 करोड़ रुपये की सेल निकलने लगी. बाद में घड़ी डिटर्जेंट को बिहार, पंजाब और मध्य प्रदेश तक पहुंचाया गया.

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घड़ी की सेल लगातार बढ़ रही थी. इसका मुख्य कारण था डीलरों को मिलने वाला मार्जिन. उस समय प्रतिद्वंद्वी कंपनियां लगभग 6 प्रतिशत का मार्जिन दे रही थीं, मगर घड़ी डिटर्जेंट बेचने पर डीलरों को 9 प्रतिशत का मार्जिन ऑफर किया गया. आम तौर पर डीलर उसी कंपनी का सामान बेचना पसंद करते हैं, जहां मार्जिन बेहतर हो. मुरलीधर ज्ञानचंदानी ने अपना मुनाफा कर करके डीलरों को अधिक मार्जिन दिया. यह फॉर्मूला भी हिट रहा.

विज्ञापन का खेल, चल निकली रेल
2002 तक घड़ी डिटर्जेंट की सेल 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी. जैसे-जैसे मुरलीधर के उत्पाद का विस्तार हो रहा था, वैसे-वैसे प्रतिस्पर्धा भी कड़ी होती जा रही थी. तब देश में एक ब्रांड बहुत बड़ा बन गया था. टीवी चैनल्स पर उसके विज्ञापन चल रहे थे. मगर मुरलीधर ने घड़ी डिटर्जेंट के लिए अपने बजट का केवल 2 फीसदी हिस्सा ही मार्केटिंग अथवा विज्ञापनों पर खर्च किया था.

ज्ञानचंदानी ने शुरू से ही मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास पर फोकस किया था. अपने ग्राहकों तक डायरेक्ट पहुंचने के लिए उन्होंने विज्ञापन का नया तरीका खोजा. लखनऊ से गुवाहाटी चलने वाली ट्रेन समेत कुछ और ट्रेनों के अंदर घड़ी डिटर्जेंट के विज्ञापन छपवा दिए गए. और यह पत्ता भी एकदम सही गिरा. सेल और बढ़ गई. इस समय बड़ी कंपनियों का डिटर्जेंट नीले और पीले रंग में आता था. ऐसे में ज्यादा सफाई और सफेदी का वादा करने वाला घड़ी डिटर्जेंट का रंग जानबूझकर सफेद रखा गया.

पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें
अब कंपनी अपने विज्ञापन टेलीविजन पर भी देती है. कंपनी ने अपनी टैगलाइन रखी- पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें. यह टैगलाइन इतनी मशहूर हुई कि इस पर कई मीम तक बन गए. अब घड़ी डिटर्जेंट की टैगलाइन सबकी जुबां पर है. कंपनी ने अपने टीवी विज्ञापनों के लिए अमिताभ बच्चन और टीवी की बड़ी अभिनेत्री दिव्यांका त्रिपाठी को ब्रांड एंबेसडर के तौर पर लिया.

2012 में घड़ी डिटर्जेंट की सेल 2200 करोड़ रुपये पार कर गई. 12,000 करोड़ के डिटर्जेंट मार्केट में घड़ी डिटर्जेंट ने 17 प्रतिशत अपने कब्जे में रखा हुआ था. 2017 तक कंपनी के पास 28 प्रतिशत बाजार आ चुका था.

हाल ही में मार्केटिंग के एक्सपर्ट हरकंवल सिंह ने RSPL (Rohit Surfactants Private Limited) ग्रुप के ग्लोबल मार्केटिंग में उपाध्यक्ष की भूमिका पर जॉइन किया है. बता दें कि आर.एस.पी.एल ग्रुप घड़ी डिटर्जेंट की पेरेंट कंपनी है. इसमें घड़ी डिटर्जेंट के अलावा Xpert डिशवॉश और वीनस बाथिंग सोप जैसे प्रोडक्ट भी शामिल हैं. मार्च 2024 में कंपनी की एक स्टेटमेंट के अनुसार, फिलहाल घड़ी डिटर्जेंट की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है. यह नंबर-2 का डिटर्जेंट ब्रांड है.

भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के बिना सफलता संभव नहीं. इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने अपने उत्पाद की कीमत तय की है. घड़ी डिटर्जेंट के 10 किलोग्राम वाले पैक की कीमत फ्लिपकार्ट पर लगभग 1,700 रुपये है. इसका तीन किलोग्राम वाला पैक अमेज़न पर 190 रुपये में बिक रहा है. 5 किलोग्राम वाले पैक की कीमत फिलहाल उपबल्ध नहीं है. बता दें कि ये कीमतें ऑनलाइन हैं और ऑफलाइन प्राइस से अलग हो सकती हैं.

मुरलीधर ज्ञानचंदानी की नेट वर्थ
मुरलीधर उत्तर प्रदेश के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं. मुरलीधर ज्ञानचंदानी की नेट वर्थ 12,000 करोड़ रुपये आंकी गई है. कई रिपोर्ट्स में उन्हें भारत के सबसे रईसों की सूची में 147वां स्थान दिया गया है. ऐसा नहीं है कि ज्ञानचंदानी के पास केवल घड़ी डिटर्जेंट और साबुन जैसे ही ब्रांड हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि फुटवियर ब्रांड रेड चीफ (Red Chief) के मालिक भी मुरलीधर ज्ञानचंदानी हैं. मुरलीधर के बेटे का नाम मनोज ज्ञानचंदानी है. रोहित उनके भतीजे का नाम है, जिनके नाम पर कंपनी का नाम RSPL पड़ा है.

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