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इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC के आदेश को मानेगा चुनाव आयोग: CEC राजीव कुमार ने कहा- हम पारदर्शिता के पक्ष में, SC के निर्देश पर कार्रवाई करेंगे

नई दिल्ली6 मिनट पहले

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मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि देश की जनता को लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेना चाहिए। - Dainik Bhaskar

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि देश की जनता को लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए रोक लगाई है। शनिवार (17 फरवरी) को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग गुमनाम चुनाव फंडिंग योजना के संबंध में SC के निर्देशों का पालन करेगा। आयोग ने हमेशा सूचना प्रवाह और भागीदारी में पारदर्शिता की वकालत की है।

दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों के विधानसभा चुनावों, मतदान केंद्रों और मतदान के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने देश की जनता से अपील की है कि सभी को लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेना चाहिए।

राजीव कुमार ने कहा- SC को दिए अपने हलफनामे में आयोग ने कहा कि वह पारदर्शिता के पक्ष में है। जब आदेश जारी होगा तो वह SC के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाई
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई। SC ने कहा है कि ये स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

SC ने इलेक्शन कमीशन से 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की जानकारी पब्लिश करने के लिए कहा है। इस दिन पता चलेगा कि किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया। यह फैसला 5 जजों ने सर्वसम्मति से सुनाया है।

चीफ जस्टिस ने कहा था कि पॉलिटिकल प्रोसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं। वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।

2018 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला। 6 साल में चुनावी बॉन्ड से भाजपा को 6337 करोड़ की चुनावी फंडिंग हुई। कांग्रेस को 1108 करोड़ चुनावी चंदा मिला।

2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा।

चुनावी बॉन्ड क्या है?

2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रोमिसरी नोट होता है। जिसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।

अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं तो आपको ये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनी हुई ब्रांच में मिल जाएगा। इसे खरीदने वाला इस बॉन्ड को अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता है। बस वो पार्टी इसके लिए एलिजिबल होनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला
इस योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई थी, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।

बाद में दिसंबर, 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।

इस पर विवाद क्यों…
2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। दूसरी ओर इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।

कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कीम को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को ध्यान में रखकर लाया गया है। इससे ये घराने बिना पहचान उजागर हुए जितनी मर्जी उतना चंदा राजनीतिक पार्टियों को दे सकते हैं।

जिस पार्टी को डोनेट कर रहे हैं वो एलिजिबल है, ये कैसे पता चलेगा?
बॉन्ड खरीदने वाला 1 हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का बॉन्ड खरीद सकता है। खरीदने वाले को बैंक को अपनी पूरी KYC डीटेल में देनी होती है। खरीदने वाला जिस पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिला होना चाहिए। डोनर के बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के अंदर इसे उस पार्टी को चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता है।

चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी…

  • कोई भी भारतीय इसे खरीद सकता है।
  • बैंक को KYC डीटेल देकर 1 हजार से 1 करोड़ रुपए तक के बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं।
  • बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है।
  • इसे खरीदने वाले व्यक्ति को टैक्स में रिबेट भी मिलती है।
  • ये बॉन्ड जारी करने के बाद 15 दिन तक वैलिड रहते हैं।

भाजपा को कांग्रेस से 7 गुना ज्यादा फंडिंग, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 2023 में मिले 1300 करोड़ रुपए

भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 2022-23 में कुल 1300 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है। जबकि इन्हीं बॉन्ड के जरिए कांग्रेस को महज 171 करोड़ रुपए का फंड मिला है। यह जानकारी चुनाव आयोग ने शेयर की है। भाजपा की एनुअल ऑडिट रिपोर्ट, चुनाव आयोग को भेजी गई थी। इसके मुताबिक 2021-22 में BJP की कुल इनकम ₹1,917 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹2,361 करोड़ हो गई है। पूरी खबर पढ़ें

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