नई दिल्ली: चेन्नई के कोयमबेडु में स्थित एक फेमस मस्जिद और मदरसे को बहुत जल्द बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके चेन्नई में बनाई गई मस्जिद और मदरसे को गिराने के हाईकोर्ट के आदेश में किसी भी तरीके से दखल देने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि कोयमबेजु स्थित मस्जिद अवैध संरचना है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर मुहर लगा दी, जिसमें चेन्नई के कोयमबेडु में स्थित मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह संरचना पूरी तरह से अवैध रूप से निर्मित है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने निर्दिष्ट भूमि पर संरचनाओं यानी मस्जिद और मदरसे को हटाने के लिए 31 मई तक का समय दिया. दरअसल, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह माना गया था कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी भवन स्वीकृति योजना के अवैध रूप से किया गया था.
‘हमें दखल देने की जरूरत नहीं’
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सार्वजनिक स्थानों या सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने के अपने पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अथॉरिटीज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे अवैध निर्माण हटाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि अवैध रूप से बनाई गई इमारत धर्म की शिक्षा का स्थान नहीं हो सकती. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी और आदेश मस्जिद-ए-हिदाय और मदरसा की ओर से दाखिल याचिका पर आई. याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी को देखने के बाद मामले में दखल देने की जरूरत नहीं लगती है.
किसकी जमीन पर है मस्जिद?
दरअसल, मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, वह चेन्नई मैट्रोपोलिटन डेवलेपमेंट अथॉरिटी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता संस्था अवैध कब्जेदार है. उसने कभी भी इमारत का प्लान मंजूर कराने के लिए आवेदन नहीं किया. निर्माण पूरी तरह अवैध है. अथॉरिटीज की तरफ से से नौ दिसंबर, 2020 को नोटिस दिए जाने के बावजूद भी निर्माण जारी रहा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता हिदाय मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट के वकील ने जब हाईकोर्ट के नवंबर, 2023 के निर्माण हटाने के आदेश का विरोध किया तो सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में आदेश दे चुका है कि सार्वजनिक स्थान पर कोई अवैध निर्माण हो तो चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद या कुछ भी उसे ढहाया जाए. सारे हाईकोर्ट उस आदेश की निगरानी कर रहे हैं और राज्य सरकारें भी उस बारे में उचित निर्देश जारी करती हैं.
‘आपको कब्जे का अधिकार नहीं’
हाालंकि, मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने दलील दी कि वह जमीन बहुत लंबे समय से खाली पड़ी थी, जिसका मतलब है कि सरकार को जनहित में उस जमीन की जरूरत नहीं थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या इसका मतलब है कि आप जमीन पर अवैध कब्जा कर लेंगे. जमीन सरकार की है, वह उसे प्रयोग करे या न करे…उसकी मर्जी लेकिन आपको उस पर कब्जे का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद हटाने के लिए याचिकाकर्ता को 31 मई तक का समय दे दिया है.
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FIRST PUBLISHED : February 28, 2024, 11:51 IST